POEMS कविताएँ
लगा कि मैं प्रेम में डूबा पड़ा हूँ / किसी राग की तरह / जो ठुमरी में उलझा है
बिना आलाप के और / उसे वहाँ से निकलना ही नहीं है।
तुममें रहकर मैं / तुम्हें लिख नहीं पाता / और तुममें रहे बिना / कुछ लिखना बेमानी है
कुछ पन्ने हैं जो लिखे-फाड़े / पुनः जोड़े, फिर से लिखे और / फिर-फिर फाड़ दिए /तुम्हें लिखने में।
हर बार बदल गए शब्द, राग / बदल गई ताल / प्रेम की हमराह होने में।
कोई शब्द ऐसे नहीं बचे / जिन्हें काट-काट कर / फिर से नहीं लिखा।
अब सारे शब्द कटे पड़े हैं।